मंजू बामनिया
राज्य : मध्य प्रदेश
जिला : झाबुआ
ब्लॉक: थांदला
गाँव : सुत्रेति
स्वयं सहायता समूह: गायत्री स्वयं सहायता समूह
आजीविका गतिविधियाँ : कियोस्क केंद्र संचालन
लखपति दीदी की यात्रा
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के सुतरेती गांव की दृढ़ निश्चयी मंजू बामनिया आज दृढ़ निश्चय और आत्मनिर्भरता की एक प्रेरक मिसाल बन गई हैं। स्नातक होने के बावजूद गायत्री स्वयं सहायता समूह से जुड़ने से पहले मंजू को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
मंजू की ज़िंदगी में तब बदलाव आया जब वह आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह में शामिल हुईं। समूह की एक बैठक में बैंक कियोस्क आई.डी. की अवधारणा पेश की गई। इस अवसर से आकर्षित होकर मंजू ने इसे अपनाने का फैसला किया। उन्होंने आवेदन किया और उन्हें मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक कियोस्क आई.डी. प्रदान की गई।
वह अपने कियोस्क संचालन के माध्यम से प्रति माह 15,000-20,000 रुपये कमाने लगी। बैंक के साथ उसके बढ़ते तालमेल ने उसे अपने कियोस्क केंद्र का विस्तार करने के लिए 1 लाख रुपये सहित अतिरिक्त ऋण प्राप्त करने में भी सक्षम बनाया। उसकी यात्रा यहीं नहीं रुकी, उसने अपने गाँव के अन्य लोगों को 8 लाख रुपये का ऋण प्राप्त करने में मदद की, जिससे वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें।
मंजू की कमाई ने न केवल उनके परिवार की वित्तीय स्थिरता में सुधार किया, बल्कि उन्हें अपने पैर की महत्वपूर्ण सर्जरी करवाने और अपने लिए एक स्कूटर खरीदने में भी मदद की। उनकी कड़ी मेहनत के सम्मान में, उन्हें सबसे अधिक लेनदेन करने के लिए 2022 में सर्वश्रेष्ठ व्यवसाय संवाददाता (बी.सी.) पुरस्कार से सम्मानित किया गया।