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राज्य : मध्य प्रदेश

 जिला : दमोह 

 ब्लॉक: दमोह 

गाँव : बांसा

स्वयं सहायता समूह:  सरस्वती स्वयं सहायता समूह

आजीविका गतिविधियाँ :   धूपबत्ती (अगरबत्ती) बनाना

लखपति दीदी की यात्रा

बांसा गांव की रहने वाली उमा चौरसिया का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। शादी के बाद उनके पति चाय की दुकान चलाते थे, जिससे मुश्किल से ही रोजमर्रा की जरूरतें पूरी हो पाती थीं।

 आजीविका मिशन की महिलाओं से विचार-विमर्श के बाद वह सरस्वती स्वयं सहायता समूह से जुड़ गईं। मिशन से उन्हें सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.) के रूप में 80,000 रुपये मिले। समूह ने अगरबत्ती बनाना शुरू किया, लेकिन हाथ से बने उत्पादों में गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता की कमी थी।

समूह ने अगरबत्ती उत्पादन के लिए मशीनें खरीदने के लिए बैंक से 1.5 लाख रुपए का ऋण और 3 लाख रुपए की क्रेडिट लिमिट प्राप्त की। इससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार हुआ। उमा और उनका समूह अब जबलपुर, सागर, हट्टा, दमोह और अन्य बाजारों में अगरबत्ती बेचते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है।

उमा और उनके समूह के सात सदस्य प्रतिदिन 2 क्विंटल अगरबत्ती बनाते हैं, जिससे उन्हें प्रति माह 12,000 से 14,000 रुपये की कमाई होती है।

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