निगरानी एवं मूल्यांकन

निगरानी एवं 

मूल्यांकन

निगरानी, मूल्यांकन और अध्यन (एम.ई.एल.), सूचित निर्णय लेने, निरीक्षण करने, और स्वयं सहायता समूहों (एस.एच.जी.) में महिलाओं को 'लखपति दीदी' के दर्जे तक बढ़ाने के उद्देश्य से रणनीतियों की प्रभावकारिता का आंकलन करने में मदद करता है। इसके लिए निम्नलिखित निगरानी, मूल्यांकन, और अध्यन की कार्यप्रणाली स्थापित की जा रही है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में गठित संचालन समिति, मुद्दों पर विचार-विमर्श करती है और नीति, अंतर-विभागीय योजना अभिसरण, साझेदारी, नए विचारों, नवाचार आदि के लिए सलाह प्रदान करती है। यह नियमित अंतराल पर पहल की प्रगति की समीक्षा करता है । इसी तरह राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर ऐसी ही समितियां गठित की जा रही हैं।

सामुदायिक संगठन स्तर पर, क्लस्टर लेवल फेडरेशन और ग्राम संगठन में आजीविका उप समिति को कार्यात्मक बनाया गया है। ये समितियाँ सदस्यों की आजीविका गतिविधियों की योजना, कार्यान्वयन में सुविधा और निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह समितियाँ पात्रता पहुंच, हितधारकों के साथ आजीविका परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायता, वित्तपोषण, बाजार पहुंच, और प्राइवेट प्लेयर के साथ साझेदारी की सुविधा प्रदान करती हैं।

सामयिक समीक्षा , प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों और विषयगत हस्तक्षेपों के आधार पर होती है, जिसमें कृषि, गैर-कृषि, वित्तीय समावेशन, संस्थानों के निर्माण, और क्षमता निर्माण आदि शामिल हैं। लखपति दीदी पहल के तहत प्रगति पर नज़र रखने के लिए एक एम.आई.एस. और डैशबोर्ड तैयार किया गया है।

परियोजना स्थलों का दौरा और एस.एच.जी. दीदियों के साथ बातचीत से होने वाले हस्तक्षेप में प्रासंगिक निरीक्षण, समुदाय और हितधारकों से वास्तविक समय की प्रतिक्रिया का प्रत्यक्ष अनुभव मिलता है। राज्यों के भीतर और जिलों में नियमित रूप से आयोजित होने वाले एक्सपोजर दौरों से लखपति दीदियों और सामुदायिक संस्थानों के द्वारा किए गए विभिन्न आजीविका हस्तक्षेपों का प्रत्यक्ष अनुभव होता है।

सहकर्मी शिक्षण में व्यक्ति अपने साथियों के साथ विभिन्न तरीकों से सीखते हैं जो सहयोग, ज्ञान के आदान-प्रदान और कौशल विकास को प्रोत्साहित करते हैं। अंतरराज्यीय/अंतरजिला/अंतरब्लॉक स्तर पर सीखने और आदान-प्रदान कार्यक्रमों का आयोजन नियमित रूप से हो रहा है, जो समुदाय के सदस्यों और कर्मचारियों के बीच जागरूकता और साझेदारी को बढ़ावा देने में मदद करता है।

राज्यों से अपेक्षा की जा रही है कि वे तीसरे पक्ष के माध्यम से नियमित मूल्यांकन करें, जो राष्ट्रीय स्तर पर एक संक्षेप प्रक्रिया के माध्यम से भी आयोजित होगी।